एक हसीन सुबह को मैंने कहा, "मसूरी चलें, सुबह जाएँगे, शाम तक वापस आ जाएँगे।"
उसने कहा, "नहीं, सब लोग बातें बनाएँगे, पहले ही हमारा नाम जोड़ते रहते हैं।"
वह मुड़ गई और मैं कह भी न सका कि बस स्टॉप तक तो चल सकती हो।
मैंने कहा, "ऑफिस से मेरे घर आ जाना, बगल में ही है।"
"नहीं आ सकती आज कोई लेने आएगा, साथ ही जाना होगा" कहकर उसने फोन रख दिया, मैं
सोचता ही रह गया कि दुनिया आज ही खत्म होने वाली तो नहीं। क्या कल भी हमारा
नहीं हो सकता?
मैंने कहा, "सॉरी, तुम्हारा समय लिया।"
उसने कहा, "कोई बात नहीं, लेकिन अभी मेरे सामने बहुत सा काम पड़ा है।"
मैंने कहा, "कॉन्फ्रेंस तो बहाना थी, आया तो तुमसे मिलने हूँ।"
उसने कहा, "कॉन्फ्रेंस में ध्यान लगाओ, प्रमोशन के लिए जरूरी है।"
मैंने कहा, "एक बेहद खूबसूरत लड़की से शादी का इरादा है।"
उसने कहा, "मुझे जरूर बुलाना।
मैंने कहा, "तुम्हें तो आना ही पड़ेगा।"
उसने कहा, "जिंदगी गिव एंड टेक है..." और इठलाकर बोली, "तुम आओगे तो मैं भी आ
जाऊँगी।"
मैं अभी तक वहीं खड़ा हूँ। वह तो कब की चली भी गई अपनी शादी का कार्ड देकर।